National Pollution Control Day- पॉल्यूशन से बचाव के साथ कंट्रोल करना भी जरूरी है

National Pollution Control Day- पॉल्यूशन से बचाव के साथ कंट्रोल करना भी जरूरी है

सेहतराग टीम

आज 2 दिसंबर है और आज राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस (National Pollution Control Day) मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देशय लोगों को हर तरह के प्रदूषण से बचने के लिए जागरूक करना है। लेकिन इस नैशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे का भोपाल गैस त्रासदी से खास कनेक्शन है। इसे इस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों की याद में मनाया जाता है।

प्रत्येक 22 माइक्रोग्राम घन मीटर प्रदूषित हवा का अंदर जाना एक सिगरेट पीने के बराबर है। इसलिए, पीएम 2.5 का स्तर 700 है या 300 यूनिट, प्रभाव बुरा ही रहेगा। लोगों को एहतियात बरतने होंगे खासकर जो लोग दमा, ब्रोंकाइटिस या सांस संबंधी अन्य बीमारियों से पीड़ित हों। प्रदूषण सांस संबंधित तंत्र की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे ब्रोंकाइटिस, एंफिसेमा और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। फेफड़ों और दिल पर अत्यधिक तनाव पड़ने से शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है और फेफड़े तेजी से बूढ़े हो सकते हैं। लोगों को सुनिश्चित करना चाहिए कि घर के भीतर वायु प्रदूषण न हो और किचन में चिमनी और बाथरूम में एक्जॉस्ट लगे हों।

प्रदूषण को ऐसे कंट्रोल करें-

  • लोगों को जागरुक किया जाए। उन्हें बताया जाए कि वे अच्छी क्वॉलिटी के मास्क का प्रयोग करें। खुले में कूड़ा, फसल के अवशेष, पॉलीथीन व अन्य प्लास्टिक कचरा न जलाएं।
  • कोयले का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। इससे 40 फीसदी से भी अधिक कार्बन व फ्लाई ऐश निकलती है।
  • समय-समय पर वाहनों की मरम्मत कराते रहें। अच्छी क्वॉलिटी का डीजल और पेट्रोल इस्तेमाल करें।
  • वाहनों का भी पॉल्यूशन चेक करवाएं। फैक्टरियों में चिमनी की ऊंचाई 20 मीटर से कम न रखें।

प्रदूषण से ऐसे करें बचाव-

  • सुबह एवं शाम की सैर से बचें।
  • स्कूलों में क्‍लास रूम से बाहर की गतिविधियां तत्‍काल बंद कर देनी चाहिए।
  • दमा के मरीजों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों पर सबसे अघिक असर।
  • एन95/एन99/एफएफपी3 या ‘एनआईओएसएच से मान्यता प्राप्त’ मास्क पहनें।
  • कार्डियो कसरत न करें। इनसे सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि इस दौरान शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
  • शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें। सब्जियों एवं फलों के जूस के साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।
  • सांस संबंधी बीमारी होने की सूरत में एलर्जी किट भी तैयार रखें जिसमें दवाएं, इनहेलर और नेबुलाइजर हो।
  • इसके अलावा प्रदूषण के चलते गले में सबसे अधिक धूल के कण जमा हो जाते हैं। इससे गले में परेशानी हो जाती है। ऐसे में रोज खाने के बाद गुड़ का इस्तेमाल करें। इसके अलावा मुलेठी भी चबा सकते हैं।

 

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